शहर में एक महिला ने अपने पति को न्याय दिलाने के लिए कड़ाके की सर्दी में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने का फैसला लिया। 23 दिसम्बर से जारी इस अनशन में महिला के साथ उसका 10 वर्षीय बच्चा भी है। महिला का आरोप है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी न केवल उनके पति के खिलाफ न्यायिक आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं, बल्कि उनके हक की मांग को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। पति की निलंबन और सेवा समाप्ति के खिलाफ उच्च न्यायालय का आदेश आरती का आरोप है कि उसके पति, डॉक्टर खरग सेन प्रवक्ता मोतीलाल नेहरू इंटर कॉलेज, शरीफ नगर बरेली को प्रबंध तंत्र ने मिथ्या आरोपों के आधार पर निलंबित कर दिया और उनकी सेवा समाप्त कर दी। हालांकि, 6 दिसम्बर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके पक्ष में आदेश पारित किया। न्यायालय ने आदेश दिया कि उनका वेतन आहरण किया जाए और कार्यभार ग्रहण कराया जाए। फिर भी, शिक्षा विभाग ने अब तक इन आदेशों का पालन नहीं किया और महिला को अपने पति के वेतन और सेवा संबंधित अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। निलंबन और वेतन से संबंधित अनियमितताएँ आरती का आरोप है कि उनके पति के निलंबन और सेवा समाप्ति के बाद, जिला विद्यालय निरीक्षक बरेली ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए 2021 और 2022 की वेतन वृद्धि बहाल करने की प्रक्रिया को अब तक पूरा नहीं किया है। इसके अतिरिक्त, नवंबर 2024 का वेतन, जो बिना किसी सूचना के रोका गया था, और जुलाई 2024 की वेतन वृद्धि भी रोक दी गई है। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि उनके पति के चयन वेतनमान की स्वीकृति भी अब तक नहीं दी गई है, जबकि उच्च न्यायालय ने इस मामले में स्पष्ट आदेश दिए थे। कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय में याचिका आरती का कहना है कि उनके पति विद्यालय की वरिष्ठता सूची में पहले स्थान पर हैं और उनके कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्ति दी जानी चाहिए। इस संबंध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, जिसमें शासनादेश 6 मई 2022 के तहत कार्यवाहक प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति की मांग की गई थी। हालांकि, जिला विद्यालय निरीक्षक बरेली के पत्र में इस आदेश की अवहेलना की गई, जिस पर आरती ने उच्च न्यायालय में और याचिका दायर की। अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। आरती ने लगाए शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप आरती ने अपने अनशन के माध्यम से यह आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी जानबूझकर उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं कर रहे और उनके पति के अधिकारों को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक लापरवाही और अधिकारियों की उदासीनता के कारण न केवल उनके परिवार की जिंदगी प्रभावित हो रही है, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और न्याय की कमी भी उजागर हो रही है। शासन से तत्काल न्याय की अपील आरती ने शासन से अपील की है कि उच्च न्यायालय के आदेशों का तुरंत पालन किया जाए और उसके पति के सभी अधिकारों की बहाली की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनके पति की कार्यवाहक प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति नहीं दी जाती है, तो यह न केवल उनके परिवार के लिए अन्याय होगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भी बड़े सवाल उठेंगे। इस अनशन ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली और न्यायिक आदेशों के पालन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरती की यह संघर्षपूर्ण आवाज न केवल उसके पति के लिए न्याय की प्रतीक है, बल्कि उन लाखों कर्मचारियों के लिए भी एक संदेश है, जो अपनी जायज़ मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
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